Nigah shayari in Hindi
(1)
वो सामने था लेकिन उसे निगाह न छू सकी,
एह अहत्राम की हद थी या हौसले का कमाल।
wo samne tha lekin ussko nigah na chhu saki,
eh ahtraam ki had thi ya hausle ka kamal.
Nigahen shayari tow line
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(2)
नका़ब क्या छुपायेगा शबाब ए हुस्न को,
निगाह ए इश्क तो पत्थर भी चीर देती हैं।
naqab kya chupayega shabab e husn ko,
nigah e ishq to pthar bhi cheer dete hain.
निगाहों से क़तल शायरी
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(3)
तुम्हारी एक नज़र से क़तल हो जाते हैं लोग,
ज़रा हम पर भी एक निगाह ए करम डालो की जि़ंदगी अच्छी नहीं लगती।
tumhari ek nazar se qatal ho jate hain log,
zara ham par bhi ek nigahe karam dalo ki zindagi acchi nahi lagti .
Nigahe status in hindi
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(4)
मेरी निगाह ए शौक भी कुछ कम नहीं मगर,
फिर भी तेरा शबाब तेरा ही शबाब है।
जिगर मुराद आबादी।
meri nigahe shauq bhi kuch kam nahi magar,
phir bhi tera shabab tera hi shabab hai.
jigar murad abadi.
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(5)
जैसी मेरी निगाह ने देखा न हो कभी,
महसूस ये हुआ तुझे हर बार देख कर।
शाद अज़ीम आबादी
jaise meri nigah ne dekha na ho kabhi,
mahsoos yeh hua tujhe har bar dekh kar.
shaad azeem aabadi
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(6)
इतनी कशिश हो निगाह ए शौक में साकी,
इधर दिल में ख्याल आया उधर वो बेक़रार हो जाए।
itni kashish ho nigah e shauq me saaqi,
idhar dil me khyal aaye udhar wo beqarar ho jaye.
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तरसती हैं निगाहें शायरी
(7)
सब की जानिब रही वो निगाह करम,
हम तरस्ते रहे एक नज़र के लिए।
sab ki janib rahi wo nigahe karam,
ham taraste rahe ek nazar ke liye.
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Shayari On Nigahen in hindi
(8)
करने गए थे हम उस से तगा़फुल का गिला,
की एक निगाह ही कि बस खाक होगये।
karne gye the ham uss se tagaful ka gila,
kee ek nigaah hi ki bass khaak hogye.
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(9)क़यामत है ज़ालिम की नीची निगाहे,
खुदा जाने क्या हो जो नज़र उठा ले।
qayamat hai zalim ki neechi nigahe,
khuda jane kya ho jo nazre utha le.
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(10)
ये झुकी झुकी नुगाहे ये हसीं हसीं नजा़रे,
मुझे दे रही है कोई पैगाम चुपके चुपके।
yeh jhuki jhuki nugahe ye haseen haseen nazare,
mujhe de rahi hai koi paigaam chupke chupke.
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निगाह शायरी अपनीशायरी
(11)
वो निगाह सिरफ निगाह नहीं,
उनमे तो हयात है साहब।
wo nigah sirf nigah nahi,
unme to hayaat hai saheb.
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(12)
दिल पर लगा उलट कर एक तीर आह का,
जो आ गया था याद पलटना निगाह का।
dil par laga ulat kar ek teer aah ka,
jo agaya tha yaad paltna nigaah ka.
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Khamosh Nigah Shayari
(13)
फक़त निगाह से होता है दिल का फैसला,
ना हो निगाह में शोखी तो दिलबरी क्या है।
faqat nigaah se hota hai dil ka faisla,
naa ho nigah me shokhi to dilbari kya hai.
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निगाह इस क़दर का़तिल
(14)
निगाह इस क़दर का़तिल की उफ़ उफ़,
अदायें इस क़दर प्यारी की तोबाह।
nigahe iss qadar qatil ki uf uf,
adayen iss qadar pyari ki tobah.
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(15)सलीका़ तुमने परदे का बड़ा अनमोल रखा है,
यही निगाह ही का़तिल हैं, इन्हीं ही खोल रखा है।
saleeqa tumne parde ka bada anmol rakha hai,
yahi nigahe hi qatil hain,inhe hi khol rakha hai.
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(16)
दोस्त को दौलत की निगाह से मत देखो,
अक्सर वफ़ा करने वाले दोस्त गरीब हुआ करते हैं।
dost ko daulat ki nigaah se mat dekho,
aksar wafa karne wale dost gareeb hua karte hain.
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(17)उठती नहीं निगाह किसी की तरफ,
पाबंद कर गई हैं किसी की नज़र मुझे
uthti nahi nigaah kisi ki taraf,
paband kar gyi hain kisi ki nazar mujhe.
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(18)
नहीं निगाह में मंजि़ल तो जस्तजू ही सही,
नहीं विशाल मायस्सर तो विसाल ही सही।
nahi nigah me manzil to jastaju hi sahi,
nahi visaal mayassar to visaal hi sahi.
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(19)
फरियाद कर रही है तरस्ती हुई निगाह,
देखे हुए किसी को बहुत दिन हो गए।
fariyad kar rahi hain tarsti hui nigaah,
dekhe hue kisi ko bahut din ho gye.
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Nigah shayari for girlfriend
(20)
तुझे क्या सुनाऊं मेरे खुदा,
तेरे सामने मेरा हाल है,
तेरी एक निगाह की बात है,
मेरी जिंदगी का सवाल है।
tujhe kya sunau mere khuda,
tere samne mera haal hai,
teri ek nigah ki baat hai,
meri zindagi ka sawal hai.
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(21)
उसके होंटों पे जा ठहरती है मेरी निगाह अब,
तिश्नगी मुझसे अब कैसे कैसे दरिया मांगे।
uske honto pe jaa thaherti hai meri nigaah ab,
tishnagi mujhse ab kaise kaise dariya mange.
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(22)मेरी निगाह से देखा करे कोई
या तो किसी की जुरात दीदार ना हो,
या फिर मेरी निगाह से देखा करे कोई।
yaa to kisi ki juraat deedar na ho,
yaa phir meri nigaah se dekha kare koi.
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Nigah shayari for boyfriend
(24)
उन की निगाह में कोई जादू जरूर था,
जिस पर भी पड़ी वो जिगर में उतर गई।
un ki nigaah me koi jaadu zaroor tha ,
jiss par bhi padi wo jigar me utar gyi.
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(26)अभी इस तरफ न निगाह कर,
मैं गज़ल की पलके संवार लू।
मेरा लफज़ लफज़ है आईना
मै तुझे आइने मे उतार लूं
abhi iss taraf na nigaah kar,
mai gazal ki palke sanwaar lu.
mera lafz lafz hai aina ,
mai tujhe aina me utar lu.
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Nigah shayari hindi me
(27)
दिलो में शक हो अगर तो निगाह मिल्ती नहीं,
निगाह पर परदे बड़े हैं उठाना पड़ा है।
dilo me shak ho agar to nigaah milti nahi,
nigaah par parde bade hain uthana padta hai.
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(28)अदा मतलब, निगाह मतलब, ज़बान मतलब, बयान मतलब, बता मतलब कहां जाऊं जहां जाऊं वहां मतलब।
ada matlab ,nigaah matlab,zabaan matalb,bayaan matlab,
bata matlab kahan jaun jahan jaun wahan matlab.
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(29)
निगाह ए शौक सर ए बज़म बेहिजाब ना हो,
वो बेखबर ही सही इतने बेखबर भी नहीं,
ये अहद तुर्क ए मुहब्बत है आख़िर किस लिए,
सुकून ए क़ल्ब इधर भी नहीं उधार भी नहीं।
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ी
nigah e shauq sar e bazam behijaab na ho,
wo bekhabar hi sahi itne bekhabar bhi nahi,
yeh ahed turk e muhabbat hai aakhir kis liye,
sukoon e qalb idhar bhi nahi udhar bhi nahi.
faiz ahmad faiz
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(30)है मुनीर तेरी निगाह मैं,
कोई बात मलाल की।
मुनीर नेयाज़ी।
hai muneer teri nigaah me,
koi baat malaal ki.
muneer neyazi.
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(31)
तलाश मुझ को ना कर दश्त ए रहबर में ग़ालिब,
निगाह ए दिल से देख तेरे कितने क़रीब हूं मैं।
talash mujh ko na kar dasht rahbar me ghalib,
nigah e dil se dekh tere kitne qareeb hun mai.
मिर्ज़ा ग़ालिब
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(32)मिलते ही नज़र हम से चुरा लेते हैं निगाहे,
क्या खूब समझते हो निगाहों की ज़बान तुम।
milte hi nazar ham se chura lete ho nigahe,
kya khoob samjhte ho nigaho ki zabaan tum.
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(33)
उनसे निगाह मिली तो निगाह उनकी होगयी,
एह हदसा अजीब नज।र से नज़र का है।
unse nigah mili to nigah unki hogyi,
eh hadsa ajeeb nazar se nazar ka hai.
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(34)सवाल जब उनकी निगाह ने किया,
सारी महफिल लजवाब होगयी।
sawaal jab unki nigah ne kiya,
saari mahfil lajawab hogyi.
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(35)
एक निगाह तुझे देख लेने से,
सारी का़यनात हसीन लगती है।
ek nigaah tujhe dekh lene se,
ek nigah tujhe dekh lene se,
sari kayenat haseen lagti hai.
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(36)देख लेता है कोई फक़त एक निगाह तुझे,
बैठा जाता है वो लग कर तेरे दीवारो से।
dekh leta hai koi faqat ek nigaah tujhe,
baith jata hai wo lag kar tere deewaro se.
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(37)
क्या पता एक निगाह ही पड़ जाए,
हम तो आपके लिए ही संवरते हैं।
kya pata ek nigah hi pad jaye,
ham to aapke liye hi sanwarte hain.
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(38)जरूरी तो नहीं है की तुम मेरी निगाह में रहो,
जहां भी रहो मेरे रब की पनाह में रहो।
zaroori to nahi hai ki tum meri nigaah me raho,
jahan bhi raho mere rab ki panaah me raho.
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(39)
झुकी निगाह में भी क़यामत का असर होता है,
हुस्न और भी निखर जाता है शरमाने से।
jhuki nigaah me bhi qayamat ka asar hota hai,
husn aur bhi nikhar jata hai sharmane se.
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(40)
फक़त निगाह से होता है फैसला दिल का,
ना हो निगाह में शोखी तो दिलबरी क्या है।
faqat nigaah se hota hai faisla dil ka,
na ho nigaah me shokhi to dilbari kya hai.
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(41)
मुद्दत के बाद जो की उस ने लुत्फ की निगाह,
जी खुश तो हो गया मगर आंसू निकल गए।
muddat ke baad jo ki uss ne lutf ki nigaah,
jee khush to ho gya magar aansoo nikal gye.